सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, पटियाला हाऊस न्यायालय, नई दिल्ली ने आज मैसर्स गोण्डवाना इस्पात लिमिटेड के तत्कालीन प्रोत्साहक निदेशक श्री आशोक डागा को एक करोड़ रू. के जुर्माने सहित चार वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई। मैसर्स गोण्डवाना इस्पात लिमिटेड पर 60 लाख रू. का जुर्माना भी लगाया।
सीबीआई ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-बी के साथ पठित धारा 420 के तहत एक प्राइवेट कम्पनी यथा मैसर्स गोण्डवाना इस्पात लिमिटेड नागपुर तथा इसके तत्कालीन प्रोत्साहक निदेशक श्री आशोक डागा के विरूद्ध दिनांक 07.08.2014 को मामला दर्ज किया जिसमें आरोप है कि श्री आशोक डागा ने ‘’ गोण्डवाना इस्पात लिमिटेड ’’ के निदेशक के तौर पर कोयला ब्लॉक के आवंटन हेतु अप्रैल, 2000 में कोयला मंत्रालय में निवेदन किया जब कि कम्पनी अक्टूबर, 2001 में निगमित हुई। ऐसा आगे आरोप है कि कम्पनी के आश्वासन जिसमें कहा गया था कि प्लान्ट लगाने, प्लान्ट को विस्तार देने व कोयला खदान विकसित करने तथा उक्त कोयला ब्लॉक से निकाला गया पूरा कोयला वरोरा, जिला चन्द्रपुर (महाराष्ट्र) स्थित प्रास्तावित स्पन्ज आयरन प्लान्ट में ही प्रयोग होगा, के आधार पर वर्ष 2003 में कोयला मंत्रालय ने ‘माजरा’ कोयला ब्लॉक आवंटित कर दी हालॉंकि, आरोपी ने बिना प्लान्ट लगाए व कोयला खदान विकसित किए, कोयला मंत्रालय की अनुमति या मंत्रालय को सूचित किए बिना ही खरीदारों के साथ समझौते के तहत कम्पनी के शेयर बेच दिए ; इस प्रकार, नियमों का उल्लंघन हुआ व इससे भारी मुनाफा कमाया।
जॉंच के पश्चात, सीबीआई ने मैसर्स गोण्डवाना इस्पात लिमिटेड तथा कम्पनी के तत्कालीन प्रोत्साहक निदेशक श्री आशोक डागा के विरूद्ध आरोप पत्र दायर किया।
विचारण अदालत ने मैसर्स गोण्डवाना इस्पात लिमिटेड तथा उक्त निजी कम्पनी के तत्कालीन प्रोत्साहक निदेशक श्री आशोक डागा को दिनांक 27.04.2018 को दोषी ठहराया।
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